मौलाना मोहम्मद और शौकत अली जौहर को तो महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में सभी जानते हैं लेकिन उनकी माँ अबादी बानो बेगम (बी अम्मा) भी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थीं

ग़ैब से मेरी इमदाद होगी
अब हुकूमत ये बर्बाद होगी
हश्र तक अब न आबाद होगी
जान बेटा ख़िलाफ़त पे दे दो (शफ़ीक़ रामपुरी)

अबादी बानो बेगम की पैदाइश 1850 में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद ज़िला के अमरोहा गांव में हुई थी। उनके परिवार ने 1857 कि जंग ए आज़ादी में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था और इस वजह से अंग्रेजों के हाथों ज़ुल्म का सामना करना पड़ा था।

बी अम्मा राजनीति में ख़िलाफ़त आन्दोलन के समय आईं।

1917 में जब बी अम्मा के बेटों- मुहम्मद अली और शौकत अली को ब्रिटिश हुकूमत ने गिरफ़्तार कर लिया था तो उन्होंने उनकी रिहाई के लिए याचिका दायर की, और प्रदर्शन में भी हिस्सा लिया। उसी साल उन्होंने कांग्रेस और मुस्लिम लीग के कलकत्ता के इजलास के दौरान बुर्क़ा पहन कर ख़िताब किया।

इस आंदोलन के दौरान गांधी जी ने बी अम्मा से मुलाक़ात की। गांधी जी ने स्वतंत्रता आंदोलन से महिलाओं को जोड़ने के लिए बी अम्मा से समर्थन मांगा। उस वक्त उनकी उम्र 67 साल थी।

1921 में अहमदाबाद में कांग्रेस के इजलास में बी अम्मा को अखिल भारतीय महिला सम्मेलन का अध्यक्ष चुना गया था।

ख़िलाफ़त और अदम त’आवुन तहरीक (non-cooperation movement) के दौरान बी अम्मा ने चंदा इकट्ठा किया। ग़ैर मुल्की वस्तुओं को तर्क करने की अहमियत को समझाने के लिए बी अम्मा ने भारतीय महिलाओं की बैठकों का एहतमाम किया

बी अम्मा ने विदेशी कपड़ों के बहिष्कार में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।

ख़िलाफ़त और अदम त’आवुन तहरीक (non-cooperation movement) के दौरान बी अम्मा ने चंदा इकट्ठा किया। ग़ैर मुल्की वस्तुओं को तर्क करने की अहमियत को समझाने के लिए बी अम्मा ने भारतीय महिलाओं की बैठकों का एहतमाम किया

बी अम्मा ने विदेशी कपड़ों के बहिष्कार में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।

गांधी जी और अन्य नेताओं को अखिल भारतीय दौरों के लिए आर्थिक रूप से भी मदद की। बी अम्मा का मानना था कि भारत की आज़ादी बिना हिंदू-मुस्लिम एकता के मुमकिन नहीं है।

उन्होंने महिलाओं की सभाओं को संबोधित किया और तिलक फंड अभियान की सदारत की

बी अम्मा कहती थीं की “भारत के लोग तो क्या, मैं तो यहाँ के कुत्ते-बिल्लियों को भी अंग्रेजों की ग़ुलामी करते हुए नहीं देखना चाहती”

अपने मुल्क को ख़ुदमुख़्तार देखने से पहले ही 13 नवंबर 1924 को बी अम्मा चल बसी।